
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अली ख़ान महमूदाबाद को भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर टिप्पणी और भारतीय सेना की महिला अधिकारियों का उल्लेख करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट के चलते हरियाणा पुलिस ने गिरफ़्तार किया।
अब सोनीपत की स्थानीय अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जबकि पुलिस की सात दिन की रिमांड की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
क्या था मामला?
प्रोफ़ेसर अली ख़ान ने हाल ही में कर्नल सोफ़िया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के प्रेस ब्रीफिंग संबंधी संदर्भ में एक पोस्ट साझा की थी। यह पोस्ट भारत-पाकिस्तान संघर्ष की पृष्ठभूमि में थी।
स्थानीय निवासी योगेश की शिकायत पर सोनीपत पुलिस ने उनके खिलाफ IPC की धारा 153A (दो समुदायों में वैमनस्य फैलाना) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ़्तार किया।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
प्रोफ़ेसर अली ख़ान महमूदाबाद ने गिरफ़्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 21 मई 2025 को सुनवाई करेगा।
प्रोफ़ेसर अली ख़ान कौन हैं?
अली ख़ान महमूदाबाद एक प्रसिद्ध इतिहासकार, लेखक और शिक्षाविद हैं, जो अक्सर भारत की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर बेबाक राय रखते हैं। वह अशोका यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफ़ेसर हैं और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर भी लिखते रहे हैं।
मामले में क्या है आगे की राह?
जहां एक ओर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गई है, वहीं यह केस आने वाले दिनों में कानूनी और सामाजिक विमर्श का बड़ा मुद्दा बन सकता है।